रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

रैदास ने पहले पद में अलग-अलग चीजों की तुलना कर प्रभु के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त किया है। कवि प्रभु की भक्ति में इस कदर डूबे हुए हैं कि उनके बिना वह अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते। कवि के अनुसार इस सृष्टि में इंसान के उद्धार का एकमात्र माध्यम प्रभु की भक्ति है। अपने दूसरे भाव में कवि ने अपने प्रभु को अलग-अलग नाम देकर उनका गुणगान किया है। कवि के अनुसार प्रभु संसार में मौजूद ऊंच-नीच को नहीं मानते, बल्कि वह दीन-दुखियों पर अपनी दया-दृष्टि बनाए रखते हैं।


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